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10+ पिता पर कविता – Poem on Father in Hindi

10+ पिता पर कविता – Poem on Father in Hindi

Poem on Father in Hindi : दोस्तों आज हमने पिता पर कविता पर लिखी है और कुछ बेहतरीन कविताओं का संग्रह किया है हमें कविताओं के माध्यम से एक पिता के जीवन का उल्लेख किया है ज्यादातर लोग मां के बारे में ही लिखते हैं लेकिन वह एक पिता के बारे में लिखना भूल जाते है.

उसका अपने परिवार रिश्तेदारों और समाज के लिए जीवन भर के संघर्ष के बारे में कोई नहीं बताता है वह दुख और कठिनाइयों को सहकर भी हमें खुश रहता है ऐसा सिर्फ एक पिता ही कर सकता है.

उसका हृदय बहुत बड़ा होता है वह हर गलती को बड़ी ही सहजता से माफ कर देता है जिसके सर पर पिता का हाथ होता है उसे किसी प्रकार का डर नहीं होता है.

Poem on Father in Hindi

(1) Jise Papa Kehte Hain Poem in Hindi

हर घर में होता है वो इंसान
जिसे हम पापा कहते है।

सभी की खुशियों का ध्यान रखते
हर किसी की इच्छा पूरी करते

खुद गरीब और बच्चों को अमीर बनाते
जिसे हम पापा कहते है।

बड़ों की सेवा भाई-बहनों से लगाव
पत्नी को प्यार, बच्चों को दुलार

खोलते सभी ख्वाहिशों के द्वार
जिसे हम पापा कहते है।

बेटी की शादी, बेटों को मकान
बहुओं की खुशियां, दामादो का मान

कुछ ऐसे ही सफर में गुजारे वो हर शाम
जिसे हम पापा कहते है।

– By-Aryan chaurasia

(2) Mere Pita Kavita


बरगद की गहरी छांव जैसे,
मेरे पिता।
जिंदगी की धूप में,
घने साये जैसे मेरे पिता।।

धरा पर ईश्वर का रूप है,
चुभती धूप में सहलाते,
मेरे पिता।

बच्चों संग मित्र बन खेलते,
उनको उपहार दिला कर,
खुशी देते।
बच्चों यूं ही मुस्कुराओं की
दुआ देते मेरे पिता।।

संकट में पतवार बन खड़े होते,
आश्रय स्थल जैसे है मेरे पिता।
बूंद बूंद सब को समेटते,
अंधेरी में देकर हौसला,
कहते मेरे पिता।।

तुम को किस का डर है,
गमों की भीड़ में,
हंसना सिखाते,
मेरे पिता।

और अपने दम पर,
तूफानों से लड़ना,
किसी के आगे तुम नहीं झुकना,
ये सीखलाते मेरे पिता।

परिवार की हिम्मत,
और विश्वास है,
उम्मीद और आस की,
पहचान है मेरे पिता।

– By-Aryan chaurasia

(3) Poem for Papa From Daughter – Babul More


बाबुल मोरे!
मैं धान की पौध
सींचा तुमने अपने पसीने से,
सजग रहने बचाया नन्ही,
कोंपलों को।

पानी में खड़े रहकर रोपा,
दूसरे खेत में,
देखा कि बहा न दे,
पानी का रेला,
नाजुक जड़ों को!

आज मजबूती से पैर जमाए,
लहलाती खेती-सी मैं!
लेकिन
भूली नहीं मैं
तुम्हारी पीठ पर बरसती
सर्दी, गर्मी, बरसात
तुम्हारे पैरों की गलन!

मेरा गर्व तुम्हारा ही गौरव है
बाबुल मोरे!

-By-Aryan chaurasia

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