Guru Poem in Hindi गुरु ज्ञान का पर्याय हैं. उसकी महिमा का क्या बखान करे ? जिसके जीवन में गुरु का आशीष नहीं उसका जीवन एक कड़वे फल की तरह हैं .
गुरु का ज्ञान ही इंसान को इंसान बनाता हैं . सच्चा गुरु अपने शिष्य को व्यवहारिक जीवन से रूबरू कराता हैं . उसे हर मुश्किल का सामना कर जीवन को ख़ुशी से जीने का पाठ सिखाता हैं . गुरु का ज्ञान सदा ही शिष्य के साथ होता है, उनकी ताकत ज्ञान स्वरूप शिष्य के साथ प्रतिपल छाया के रूप में रहती हैं. जो सच्चा गुरु हैं उसे आदर पाने की लालसा नहीं होती, उनके सामने स्वतः ही शीष झुक जाता हैं .
वैसे तो कई धर्म होते है तथा हर धर्म के लोगो की अलग अलग मान्यता होती है. जैसे हिन्दू मंदिर जाते है, सिख्क गुरुद्वारे जाते है, तो मुस्लिम लोग मज्जिद जाते है तथा क्रिशन लोग चर्च जाते है. इन लोगो के अपने धर्मो के देवी देवताओ को पूजने का अलग तरीका भी होता है, परंतु फिर भी एक ऐसी चीज भी है, जिन्हे ये सब एक साथ मानते तथा पूजते है “गुरु”. गुरु कोई भी हो सकता है एक संत महात्मा या कोई चर्च के फादर या कोई और एक साधारण से स्कूल कॉलेज मे पढाने वाला या वाली भी गुरु ही होते है. यह भी कहा जा सकता है कि विद्यालय ही वह पहली जगह है, जहाँ एक बच्चा अपने जीवन मे पहली बार अपने जीवन के पहले गुरु से संपर्क मे आता है तथा विद्यालय ही वह जगह है, जहा एक बच्चा अपने जीवन का प्रथम पाठ पढ़ता है. गुरु एवम व्यास पूर्णिमा महत्व एवम पूजा विधि जानने के लिए पढ़े.
गुरु वह व्यक्ति है जो ज्ञान की गंगा बहाता है तथा अपने शिष्यो को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है . प्राचीन काल मे जब शिष्य गुरु के आश्रम मे रहकर निशुल्क शिक्षा ग्रहण करते थे, तो वे इसी दिन अपने गुरु को उनकी इच्छा अनुसार गुरु दक्षिणा देते थे तथा इस दिन को एक उत्सव की तरह मनाते थे. प्राचीन काल मे गुरु की आज्ञा भगवान का आदेश होती थी. इसके कई प्रमाण है परंतु सबसे अच्छा उदाहरण एकलव्य का है, जिसने गुरु द्रोण की मूर्ति रखकर शिक्षा गृहण की थी, परंतु फिर भी गुरु द्रोण के गुरु दक्षिणा मे दाए हाथ का अंगूठा मांगने पर बिना किसी संदेह के तुरंत अपना अंगूठा काटकर दे दिया था. हलाँकि आज गुरु की आज्ञा का पालन एकलव्य की तरह विरले ही कोई करता हो, परंतु गुरु पुर्णिमा के दिन उत्सव मनाने का यह रिवाज आज तक चला आ रहा है. गुरु पुर्णिमा के दिन कई पारंपरिक रूप से चल रहे संस्थानो मे आज भी गुरु का सम्मान किया जाता है, कई जगह इस दिन धार्मिक आयोजन किए जाते है. अपने गुरुओ के साथ पवित्र नदियो मे स्नान किया जाता है तथा कई जगह तो मेलो का आयोजन किया जाता है .
गुरु की महिमा क्या कहे, निर्मल गुरु से ही होए .
बिन गुरुवर, जीवन कटु फल सा होए ..
गुरु पर कविता ( Guru Poem in Hindi )
जानवर इंसान में जो भेद बताये
वही सच्चा गुरु कहलाये
जीवन-पथ पर जो चलाना सिखाये
वही सच्चा गुरु कहलाये
जो धेर्यता का पाठ पढ़ाये
वही सच्चा गुरु कहलाये
संकट में जो हँसना सिखाये
वही सच्चा गुरु कहलाये
पग-पग पर परछाई सा साथ निभाये
वही सच्चा गुरु कहलाये
जिसे देख आदर से सिर झुकजाये
वही सच्चा गुरु कहलाये.
-BY-ARYAN POETS
Comments
Post a Comment